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यह एक आदत आपकी जिंदगी बदल सकती है ।


 मैं आपको उस सबसे ज़रूरी आदत के बारे में बताऊंगा जिसे आप अपने जीवन में सीख सकते हैं, और नहीं, ये ध्यान लगाने, एक्ससरसाइज़ करने, या जल्दी उठने जैसा नहीं है। इसके बारे में मैंने कभी किसी को बात करते नहीं सुना। और मैं आपको बताऊंगा कि ये क्या है आपको जल्दी से दो मिनट की एक कहानी सुनाकर। 

ये टॉम है, और टॉम ने खुद से वादा किया कि २०१९ वो साल होगा जब वो अपने जीवन को फिर से शुरू करेगा। तो, २०१८ के आखिर में, उसने बैठकर अपने नये साल के सारे वादे लिखे, और उसने एक्ससरसाइज़, स्वस्थ भोजन, और जल्दी उठने के बारे में लिखा। और टॉम जब ये सब लिख रहा था, तो वो बहुत खुश था, और लगभग मानो जैसे कि एक नई ताक़त महसूस कर रहा था, और वो ये सब करने के बारे में सोचकर खुद पर गर्व महसूस कर रहा था। तो, नया साल जैसे ही शुरू हुआ, टॉम ने वाकई दमखम के साथ शुरुआत की। उसने एक्ससरसाइज़ की, जल्दी उठा, और वो अच्छा दिखने और बेहतर महसूस करने लगा

 लेकिन एक दिन देर तक काम करने के बाद, उसका जिम जाने का मन नहीं हुआ। "थकान लगने पर वर्कआउट नहीं करना चाहिए," टॉम ने खुद से कहा, इसलिए उसने घर जाना तय किया, और घर पहुंचकर उसका कटोरी भरकर सलाद खाने का मन नहीं किया। उसका मन कर रहा था कि वो बड़ा स्वादिष्ट बर्गर खाए। और दोबारा, टॉम ने खुद से कहा, "तुमको पता है? "मैं पिछले कुछ हफ्तों से बहुत काम कर रहा हूं, "मुझे छुट्टी मिलनी चाहिए," और उसने काम से छुट्टी ले ली। और अगले कुछ हफ्तों में टॉम की अच्छी आदतें बिगड़ने लगीं। वो कम सोने लगा, नियमित जिम जाना बंद कर दिया, और फिर कुछ हफ्ते और निकल गए, और टॉम की कई अच्छी आदतें छूट गईं, और वो असल में वहीं पहुंच गया जहां से शुरू किया था। व्यक्तिगत तौर पर, मैं टॉम को समझ सकता हूं, और अंदाज़ा लगाकर कहूं तो आपमें से कुछ और लोगों को भी। और सवाल ये है कि टॉम अपनी अच्छी आदतों पर टिका क्यों नहीं रहा? और वो मुख्य कारण जिसके चलते टॉम और कई लोग नई सकारात्मक आदतों पर टिके नहीं रहते, वो ये है कि उनके पास सबसे मुख्य आदत नहीं होती, जिसे प्रतिबद्धता कहते हैं। और प्रतिबद्धता की परिभाषा ये है कि कोई काम या कर्तव्य जिससे काम करने की आज़ादी में खलल पड़े .

इसका मतलब है कि एक बार किसी चीज़ के प्रति प्रतिबद्धता प्रकट करने के बाद आपके पास कुछ और करने की आज़ादी नहीं रह जाती। तो, आप खुद से पूछ रहे होंगे, खैर, मैं कैसे इस प्रतिबद्धता को हासिल करूं? और ईमानदारी से कहें, तो इसका कोई आसान जवाब नहीं है, पर जो सबसे बेहतर जवाब मैं दे सकता हूं वो ये है कि आपको बहुत देर तक और ज़ोर देकर उस चीज़ के बारे में सोचना होगा जिसके प्रति आप प्रतिबद्धता प्रकट करने जा रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। मान लीजिए कि आप वज़न उठाते हैं एक महीने में दो बार, और आप खुद से कहते हैं कि आप और वर्कआउट करना चाहते हैं.

 इस हालत में अधिकतर लोग कहेंगे, मैं अब से एक हफ्तें में तीन बार जिम जाऊंगा। अब, ये बहुत बड़ी बात नहीं लगती, लेकिन ये ६०० प्रतिशत की बढोत्तरी है एक महीन में दो बार जिम जाने के बजाए एक महीने में 12 बार जाना। और ये वो ज़बरदस्त बदलाव है जो प्रतिबद्ध होने से रोकता है। तो, मैं ये सलाह दूंगा। एक हफ्ते में तीन बार जिम जाने के बजाए हफ्ते में एक बार जिम जाने की कोशिश करिए अगले तीन महीनों के लिए, और जब ऐसा करना आसान हो जाए, और ऐसा लगे कि ये तो रोज़मर्रे के जीवन का हिस्सा बन गया है, दांत साफ़ करने की तरह, तो फिर अगले तीन महीनों तक एक हफ्ते में दो बार जिम जाइए, फिर तीन बार, फिर चार बार, और इसी तरह बढा़ते जाएइ। और मैं ये सलाह भी दूंगा कि एक बार में एक ही नई आदत पर ध्यान दीजिए। आप एक बार में कई पर ध्यान देने की कोशिश करेंगे तो आमतौर पर आपका अंत टॅाम की तरह ही होगा। लेकिन अगर आपको वाकई लगे कि आप और कर सकते हैं, तो ज़रूर करिए, लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि आप हमेशा प्रतिबद्ध रहें .

ये वाकई महत्वपूर्ण है कि आप अपनी प्रतिबद्धता नहीं छोड़ें, क्योंकि अगर आप अपनी प्रतिबद्धता पर टिके नहीं रह सकते, तो आप जीवन में वहां नहीं पहुंच सकते जहां पहुंचना चाहते हैं। अच्छी आदतें पैदा करना मकान बनाने जैसा होता है। कल्पना करिए कि आपकी अच्छी आदतें ईंट की तरह हैं जिसे आप एक दूसरे के ऊपर रखते हैं, और प्रतिबद्धता उस गोंद की तरह है जो उस सभी ईंटों को जोड़कर रखती है। एक तरह से ये मज़ेदार और आसान लगता है कि हम ईंटों को बस एक दूसरे के ऊपर रख दें, और फिर इस शानदार दिखने वाले घर की कल्पना करें जिसे हम बनाने जा रहे हैं .

पर गोंद के बिना, सीमेंट के बिना, ये घर हर हाल में गिर जाएगा, और आप वहीं पहुंच जाएंगे जहां से शुरू किया था। और ये कुछ ऐसा है जिसे मैंने कई बार व्यक्तिगत रूप से अतीत में किया है। तो, समय लें, और हर ईंट ठीक से रखें, और आखिरकार आप वो शानदार दिखने वाला घर बना ही लेंगे जो आजीवन खड़ा रहेगा। 

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